धूमिल की कविता मोचीराम ( Mochiram )
समकालीन कवि सुदामा पांडेय धूमिल की लंबी कविता मोचीराम ( Mochiram ) का मूल पाठ उपलब्ध है- राँपी से उठी हुई आँखों ने मुझे क्षण-भर टटोला और फिर जैसे पतियाए … Read More
समकालीन कवि सुदामा पांडेय धूमिल की लंबी कविता मोचीराम ( Mochiram ) का मूल पाठ उपलब्ध है- राँपी से उठी हुई आँखों ने मुझे क्षण-भर टटोला और फिर जैसे पतियाए … Read More